जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
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Monday, October 22, 2018
कलम, आज उनकी जय बोल
at
5:55 PM
Saturday, October 20, 2018
Wednesday, October 17, 2018
गलतियों से जुदा तू भी नहीं
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12:56 PM
गलतियों से जुदा तू भी नहीं ऐसी कविता है जो यह एहसास दिलाती है कि एक-दूसरे पर इलज़ाम लगाने से सिर्फ ग़लतफहमियां ही बढ़ती हैं। किसी ने बहुत सही ही कहा कहा है कि दुश्मनी जमके करो लेकिन यह हमेशा याद रखना जब भी रिश्ते वापस जुड़े तो कुछ ऐसे काम मत करना जिससे ज़िन्दगी भर शर्मिंदा रहना पड़े। आशा है की यह कविता पढ़ने के बाद सभी अपने उलझे रिश्ते सुधारने की तरफ कदम बढ़ाएंगे। कविता का आनंद लीजिये।
Monday, October 15, 2018
गीत नया गाता हूँ - अटल बिहारी वाजपयी
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12:39 AM
श्री अटल बिहारी वाजपयी द्वारा लिखित हिन्दी कविता, गीत नया गाता हूँ उनही के शब्दों में | उमीद है यह कविता आपके दिल तक पहुँचेगी |
कवि उदास हैं। लिखने की उसकी इच्छा नहीं हैं। फिर भी लिखता हैं। इस तरह से शुरू करता हैं –
गीत नहीं गाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ
बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ
Saturday, October 13, 2018
Thursday, October 11, 2018
Monday, October 8, 2018
Friday, October 5, 2018
Thursday, October 4, 2018
Wednesday, October 3, 2018
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