Friday, September 28, 2018

चुनौतियाँ मुस्कुराती हैं



देख चुनौतियाँ सफर मेरा, मुझ पर मुस्कुराती हैं।

संघर्ष देखकर मेरा रोज़, एक अनोखा अट्टहास कर जाती हैं।।
हार देखती मेरी जब-जब, एक नया खेल रचाती हैं। 
देख चुनौतियाँ सफर मेरा, मुझ पर मुस्कुराती हैं।।
पर बैर नहीं मेरा इनसे, इनकी मुस्कुराहटें भी एक सीख सिखाती हैं। 
थक गया चलकर दो कदम भर, अभी तो चलने कदम कई सैकड़ों बाकि हैं।।
क्यों हारता रहता तू अंतर्मन से, कठिनाइयाँ तेरा हौंसला पस्त कर जाती हैं। 
देख चुनौतियाँ सफर मेरा, मुझ पर मुस्कुराती हैं।।

ले प्रेरणा इन किरणों से, रोज़ अँधेरा चीर दिखाती हैं। 
रख हौंसला उन  चींटीयों सा,  तिनका-तिनका कर जो अम्बार लगाती हैं ।।
हारा नहीं भटक गया तू, मुझको परस्पर याद दिलाती हैं। 
देख चुनोतियाँ सफर मेरा,मुझ पर मुस्कुराती हैं।।

--तरुण पाठक 






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