Wednesday, October 17, 2018

गलतियों से जुदा तू भी नहीं

गलतियों से जुदा तू भी नहीं ऐसी कविता है जो यह एहसास दिलाती है कि एक-दूसरे पर इलज़ाम लगाने से सिर्फ ग़लतफहमियां ही बढ़ती हैं। किसी ने बहुत सही ही कहा कहा है कि दुश्मनी जमके करो लेकिन यह हमेशा याद रखना जब भी रिश्ते वापस जुड़े तो कुछ ऐसे काम मत करना जिससे ज़िन्दगी भर शर्मिंदा रहना पड़े। आशा है की यह कविता पढ़ने के बाद सभी अपने उलझे रिश्ते सुधारने की तरफ कदम बढ़ाएंगे। कविता का आनंद लीजिये। 

    


गलतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही,

दोनों इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नही। 


तू मुझे और मैं तुझे इल्जाम देते हैं मगर,

अपने अंदर झाँकता तू भी नही, मैं भी नही।


गलतफहमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियां,

वरना बुरा तू भी नही, मैं भी नहीं।।

-- सिद्धार्थ पाण्डेय 

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