इतनी भी देरी न कर आने में ,
कि चाभी भी बेअसर हो जाये ताले पर |
कि चाभी भी बेअसर हो जाये ताले पर |
जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
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देख चुनौतियाँ सफर मेरा, मुझ पर मुस्कुराती हैं। संघर्ष देखकर मेरा रोज़, एक अनोखा अट्टहास कर जाती हैं।। हार देखती मेरी जब-जब, एक नय...