Monday, May 27, 2019

इतनी भी देरी न कर आने में

इतनी भी देरी न कर आने में ,

कि चाभी भी बेअसर हो जाये ताले पर |  

मज़ा कुछ और है

पाने से खोने का मज़ा कुछ और है | 

बंद आँखों से रोने का मज़ा कुछ और है | 

तुम्हारे शहर का मौसम सुहाना लगे

तुम्हारे शहर का मौसम सुहाना लगे | 

मैं एक शाम चुरा लूँ अगर तुम्हे बुरा न लगे | 

Friday, May 10, 2019

मजबूरियां

शीर्षक : मजबूरियां 

ना हिन्दू होता है, ना मुस्लमान होता है , 
वो तो हम जैसा ही एक इंसान होता है | 

Monday, October 22, 2018

कलम, आज उनकी जय बोल



जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

Saturday, October 20, 2018

अग्निपथ- हरिवंश राय बच्चन



वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

Wednesday, October 17, 2018

गलतियों से जुदा तू भी नहीं

गलतियों से जुदा तू भी नहीं ऐसी कविता है जो यह एहसास दिलाती है कि एक-दूसरे पर इलज़ाम लगाने से सिर्फ ग़लतफहमियां ही बढ़ती हैं। किसी ने बहुत सही ही कहा कहा है कि दुश्मनी जमके करो लेकिन यह हमेशा याद रखना जब भी रिश्ते वापस जुड़े तो कुछ ऐसे काम मत करना जिससे ज़िन्दगी भर शर्मिंदा रहना पड़े। आशा है की यह कविता पढ़ने के बाद सभी अपने उलझे रिश्ते सुधारने की तरफ कदम बढ़ाएंगे। कविता का आनंद लीजिये।