शीर्षक : मजबूरियां
ना हिन्दू होता है, ना मुस्लमान होता है ,
मजबूरियां बना देती हैं उसको ज़माने में बुरा,
वो खुद थोड़ी ना शुरू से हैवान होता है |
न कोई सहारा मिलता है उसको, न ही कोई इज़्ज़त,
वो खुद भी तो असल में कितना परेशान होता है |
चाहता भी है सुधारना तो वो सुधर नहीं पता,
क्योंकि गलत से सही रास्ते पर आना कहाँ आसान होता है |
हो सके तो उसे प्यार और इज़्ज़त से समझा लो,
क्यूंकि हर बुरे शख्स में छुपा एक अच्छा इंसान होता है |
कवि : दीपक रावत
0 comments:
Post a Comment