Monday, May 27, 2019

मज़ा कुछ और है

पाने से खोने का मज़ा कुछ और है | 

बंद आँखों से रोने का मज़ा कुछ और है | 

आसूं बने लफ्ज़ और हर लफ्ज़ बने शायरी | 

फिर उस शायरी में तेरे होने का मज़ा कुछ और है | 

-- दीपक रावत --

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