Monday, May 27, 2019

इतनी भी देरी न कर आने में

इतनी भी देरी न कर आने में ,

कि चाभी भी बेअसर हो जाये ताले पर |  

मज़ा कुछ और है

पाने से खोने का मज़ा कुछ और है | 

बंद आँखों से रोने का मज़ा कुछ और है | 

तुम्हारे शहर का मौसम सुहाना लगे

तुम्हारे शहर का मौसम सुहाना लगे | 

मैं एक शाम चुरा लूँ अगर तुम्हे बुरा न लगे | 

Friday, May 10, 2019

मजबूरियां

शीर्षक : मजबूरियां 

ना हिन्दू होता है, ना मुस्लमान होता है , 
वो तो हम जैसा ही एक इंसान होता है |